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इक हवेली थी कि जिस खिड़की से मेरा दिन निकलता था गा

इक हवेली थी कि जिस खिड़की से मेरा दिन निकलता था
गाँव में सूनी हवेली की वही खिड़की रुलाती है

©Arman habib islampuri #Nojoto  शायरी हिंदी में शेरो शायरी शायरी लव #armanhabib #chiraiyakot #Poetry
इक हवेली थी कि जिस खिड़की से मेरा दिन निकलता था
गाँव में सूनी हवेली की वही खिड़की रुलाती है

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