को प्रबंधन और भ्रष्टाचार के कारण कंगाली में पहुंची सहकारिता को बचाने के लिए मध्यप्रदेश में नहीं पहल की गई है पहली बार लोकपाल का तंत्र बनाकर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की योजना सरकार ने बनाई है जन शक्तियों के तुरंत निरंतर के साथ भ्रष्टाचार करने वालों पर त्वरित कार्रवाई की अधिकारी लोकपाल को दिया जाएगा अब तक निगरानी का कोई कारगर तंत्र ना होने के कारण राज्य के सैकड़ों सहकारी समिति भ्रष्टाचार के दलदल में फंस चुकी है इससे मुक्ति के लिए सरकार ने सशक्त लोकपाल का स्वतंत्र नकाया बनाने का निश्चय किया है जिसके माध्यम से वह सहकारी समितियों के ना सिर्फ भ्रष्टाचार से मुक्त करेगी बल्कि कृषि विकास की नई गाथा भी दिखेगी मध्यप्रदेश में यूं तो सहकारी आंदोलन की जड़े गहरी है पर भ्रष्टाचार का दीमक इसे खोखला करने में लगा है जिला सहकारी समितियों के घोटालों के लिए जिम्मेदार कार्रवाई की फाइल तो चलती है पर उनकी गति धीमी होती ऐसी कार्रवाई नहीं हो पाती जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव कर सके यह बदलाव का मॉल बना सके दरअसल सहकारी बैंक को और समितियों के विरोध की जाने वाली शिकायतों की जांच सहकारिता विभाग के अधिकारी ही करते हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से को प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं यही कारण है कि छिटपुट कार्रवाई की वजह बावजूद भ्रष्टाचार का सिर खत्म नहीं होता ©Ek villain #लोकपाल रोकेंगे सहकारिता का भ्रष्टाचार #illuminate