क्या बराबर है सबकुछ या ऐसा लगता है.... (कल्पना है ये कहानी और इसके पात्र पर विषय में एक सचाई है उम्मीद है वो समझ आएगी और अच्छी लगेगी In the caption ) ये कहानी मेरी कल्पना है पर इसकी सचाई हम सब समझ जाएंगे उम्मीद यही है जरूर पढ़ें। #yqhindi #yqhindiwriters #yqstory #mywritingmywords #yqdidi #yqdada #yqbaba #yostrowrimo सुप्रिया अक्सर कहा करती थी अपनी मां से मां मुझे ये नही समझ आता की जब हमारी क्लास के बच्चों को खेलने दिया जाता है तो हम बल्ला क्यों नहीं देते हम मांगे तो हस्ते है लड़के और सर भी यही कहते है आपलोग के लिए ये नही बनी पर मां ये सर को कैसे पता है भला कैसे उन्होंने या किसी ने ये सोचा है की बल्ला किसके लिए बना है और बेलन किसके लिए । मां उसके सवालों के जवाब जानती थी पर कहती कैसे मां ने कहना नही जाना था ना तो मां ने कहां की जा खेल बाहर क्यों मुझे तंग करती रहती है जाकर पढ़ाई कर । सुप्रिया निराशा से अपने कमरे में जाकर किताबों को निकालती है इतिहास की किताब राजा महाराणा प्रताप की कहानी अकबर की कहानी भगतसिंह और महात्मा गांधी की कहानी जवाहरलाल नेहरू की कहानी उसके मन में फिर जिज्ञासा जागी वो फिर अपनी मां के पास नही पिता के पास भागी पूछा उसने अपने पिता से पिता जी कुछ स्वतंत्रता सैनानी के नाम बताओ ना पिता जी बोलने लगे भगत सिंह ,गांधी जी ,सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद आदि और अंत में झांसी की रानी फिर मैने पूछा अच्छा तो महिला में नाम नही थे और जो था याद वो अंत में क्यों बोला आपने पिता जी कुछ बोले नही क्यों की वो समझे नही समझते भी कैसे उन्होंने तो यही सीखा यही पढ़ा था जैसे सुप्रिया पढ़ रही थी।