पहली बार वो मेरे सपनों में आई...!! मेरी मुहब्बत बनकर बहुत से जज्बात साथ लाई...!! कुछ खोए-खोए कुछ सहमे-सहमे...!! देखो न वो हक़ीकत से मेरे ख्वाबों तक चली आई...!! उसके मन के सवाल आज भी अधूरे हैं...!! वो कम से कम प्यार से मेरे सामने तो चली आई...!! आज भी वही चाल-ढाल है उसकी....!! दुनियां के तौर-तरीके छोड़ चलो वो मुझ तक तो आई....!! दिल में दबे सवालों के जवाब चाहती है शायद...!! बस इतनी सी बात के लिए इतनी दूर तक चली आई....!! वफ़ा तुम्हारी आंखों में आज भी दिखती है मुझे...!! जज़्बात छोड़ो जनाब तुम तो यादों का संदूक भी साथ लाई....!! भूलना नहीं चाहती है शायद मुझको...!! कुछ पुरानी बातें कुछ नयें किस्से ऐसे हालात लेकर वो मेरे पास आई...!! चलो पहली बार कम से कम वो मेरे सपनों में चली आई...!! #पहली_बार_वो_मेरे_सपनों_में_चली_आई