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चल पडी हु उस राह पर जहाँ फिजाऔकी बाहें सजी हें, इं

चल पडी हु उस राह पर जहाँ फिजाऔकी
बाहें सजी हें,
इंसानोंके जैसी नमी तो नही लेकिन 
वहा मुक्कमल साथ की हमी हें। ✒️❣️✒️
चल पडी हु उस राह पर जहाँ फिजाऔकी
बाहें सजी हें,
इंसानोंके जैसी नमी तो नही लेकिन 
वहा मुक्कमल साथ की हमी हें। ✒️❣️✒️