मैं एक अरसा बीत गया मैं को ढूंढने में, पर मुझको मैं अब तलक मिला ही नहीं, मुझ में लोगों को मैं बहुत मिला, पर खुद में उनको मैं मिला ही नहीं। मैंने मैं से पूछा कि तुम अच्छे हो या सच्चे हो, स्वाभिमान के तागे हो या घमंड के पक्के हो, जिसने तुमको पाया वो फिर लोगो में घुला ही नहीं, मुझमें तो लोगों को बहुत मिला, पर खुद में उनको मैं मिला ही नहीं। ज्ञान से अर्जित सम्मान या मैं से निर्मित अभिमान है, समाज में जाने किसका क्या स्थान है, मैंने मैं को भीड़ सबसे मिलते हुए देखा ही नहीं, मुझमें तो लोगों को बहुत मिला, पर खुद में उनको मैं मिला ही नहीं। मान बोली में शालीन है पर मैं की कर्कश है वाणी, मैं ने है उतारी है भरी सभा में सम्मान का पानी, लोगों में है मैं का अंश पर लोगो ने समझा ही नहीं, मुझमें तो लोगों को बहुत मिला, पर खुद में उनको मैं मिला ही नहीं। मैं सम्पूर्ण नहीं इसीलिए आत्मीयता की कमी है, किसी पर उठती उंगली मेरे ऊपर ही तनी है, घर इतना सुना है कि मेरा मैं कहीं ठहरता है नहीं है, मुझमें तो लोगों को बहुत मिला, पर खुद में उनको मैं मिला ही नहीं। मैं #yqdidi #yqbaba #yadidiqoutes #yqdidihindi #yqdidichallenge