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घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, अपनों के बीच फिर

घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, अपनों के बीच फिर वही सुकून पाता हूं हो जाती है तकलीफें कम जब मिलता है अपनों का सहारा इसलिए घर से निकलकर फिर घर को लौट आता मां का प्यार पिता का स्नेह मिलता है घर में इसलिए फिर घर को लौट आता हूं यह है घर
घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, अपनों के बीच फिर वही सुकून पाता हूं हो जाती है तकलीफें कम जब मिलता है अपनों का सहारा इसलिए घर से निकलकर फिर घर को लौट आता मां का प्यार पिता का स्नेह मिलता है घर में इसलिए फिर घर को लौट आता हूं यह है घर
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Giriraj

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