#arniya joshi#मेरा गांव# गंभीरी लौट आओ अब गांव तुम अपने, किस्सा वही दोहराएंगे। फिर सुबह जल्दी उठ कर, गंभीरी किनारे जायेंगे, फिर बहते पानी की उन लहरों में दुःख सारा बहाएंगे.. फिर उसी किनारे बैठ कर,बातें अपनी बतलायेंगे.. थोड़ी तुम सुनाना शहर की ,गांव की हम बताएंगे.. आ जाओ तुम गांव अपने , तुम्हे फिर गंभीरी घुमाएंगे। तरबूज-खरबूज के उन खेतों की, हरियाली तुम्हे दिखाएंगे, खाली पड़ी बीयर की बॉटल पर,निशाना फिर आज़माएंगे, मछली पालन वालों को,अपनी मस्तियों से फिर सताएंगे, एक जगह पर खड़े होकर ,6 फैक्ट्री तुम्हे दिखाएंगे। शराबियों की नकल उतार कर ,एक दुसरे को वहीं हंसाएंगे ज़ोर-ज़ोर से वहाँ चिल्ला कर,गुस्सा भी वहीं निकालेंगे। अगर हुई परेशानी दिल को, वहीं तो सुकून हम पाएंगे लौट आओ अब गांव तुम अपने,किस्सा वही दोहराएंगे। -Vimlesh charan vimlesh boss