फ़ौज़ी जब घर से निकला। आंसू हर एक नज़र से निकला। कलेजा थम गया शहर का। तिरंगा ओढ़कर बैठा जब घर से निकला। माँ की आँखे समुंदर हो गयी। इतना रोईं के अंदर हो गईं। जो देती थी बेटे को हौसला । वो माँ आज हौसला खो गई। दिल फट पड़ा। जब खिलोना कोई अलमारी के अंदर स निकल। तिरंगा ओढ़ कर बेटा कब घर से निकला। बाप की आंखे एक आंसू तक न रो पाई। एक पल में मिट गई सारी उम्र की कमाई। जिन कंधो पर बिठा कर दुनिया दिखाई। उसी पर बैठे की अर्थी उठाई। ये देख दर्द हर दीवारों दर से निकला। तिरंग ओढ़कर बेटा जब घर से निकला #NojotoQuote