हिन्द को नापो नहीं नामों की एक कतार में जात-पात, मंदिरों और मस्जिदों के तार में एक गुलशन सा है दिखता मुझको मेरा ये वतन मुल्क़ मिलता ही नहीं मज़हब की दीवार में जान से है क़ीमती हर जान मेरे देश की जान है हाज़िर मेरी माटी की एक पुकार में आँख थकती ही नहीं देख ये दिलकश नज़ारा खड़ा है हिंदुस्तान सारा तिरंगे के दीदार में -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal #तिरंगे के दीदार में