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“क़लम की करामात” अनुशीर्षक में://👇👇 क़लम की क्

“क़लम की करामात”
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क़लम की क्या बात सदियों से कर रही कमाल।
इसने ही लिख डाले महाभारत, बाइबिल, गीत और क़ुरान।

कितने गीत, गज़ल कथा कहानी लिख गई ये क़लम।
आज़ भी भावनाओं को  आवाज़ के लिए सबकी पहली पसंद।    

 क़लम कल, आज़ और कल हर पीढ़ियों की बोली है।
क़लम में इतनी ताक़त टूटे दिल को सहारा देती है।

इश्क़ की दास्तां लिखती क़लम कुछ ऐसी है।
सदियों से फ़िर भी कहानी की कुछ हिस्सा रह जाती अधूरी है।

आंँसू मेरे बन स्याही क़लम संग कुरेद दिल के अरमानों को लिखने चल पड़ती है।
कोरे काग़ज़ पर “पंछी” मन अपने जज़्बातों को गढ़ने लगती है।
“क़लम की करामात”
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क़लम की क्या बात सदियों से कर रही कमाल।
इसने ही लिख डाले महाभारत, बाइबिल, गीत और क़ुरान।

कितने गीत, गज़ल कथा कहानी लिख गई ये क़लम।
आज़ भी भावनाओं को  आवाज़ के लिए सबकी पहली पसंद।    

 क़लम कल, आज़ और कल हर पीढ़ियों की बोली है।
क़लम में इतनी ताक़त टूटे दिल को सहारा देती है।

इश्क़ की दास्तां लिखती क़लम कुछ ऐसी है।
सदियों से फ़िर भी कहानी की कुछ हिस्सा रह जाती अधूरी है।

आंँसू मेरे बन स्याही क़लम संग कुरेद दिल के अरमानों को लिखने चल पड़ती है।
कोरे काग़ज़ पर “पंछी” मन अपने जज़्बातों को गढ़ने लगती है।