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झारखंड के समधी की जिले के देशराज बाजार में जिस प्र

झारखंड के समधी की जिले के देशराज बाजार में जिस प्रकार की आमने बनता दिखाई दे रही है एक तरह से आशिक से और अज्ञानता को दर्शाती है इसको तालिबान सोच से गलत मानसिकता के रूप में देखा जा सकता है इसे देखते हुए बिल्कुल भी नहीं लगता कि देश में विकास का पहिया तेजी से चल रहा है और समाज में सब लोग पढ़े लिखे और समझदार है क्योंकि ऐसी घटनाओं का होना देश की विकसित देखने के लिए जरूरी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर सकता है ऐसे मानवीय अपना घटनाओं देश के सिस्टम के लिए कई बड़ी चुनौती खड़ी कर सकते हैं एक व्यक्ति उसकी पत्नी के सामने मारपीट में और उस को आग के हवाले कर देना इतना बताने के लिए काफी है कि आदि लोगों की सोच किस तरह तालिबान रंग में रंग गई है सूट किस तरह तालिबान रंग में रंग गई है क्योंकि भारतीय सोच ऐसी नहीं होती जिस में इतनी कुर्ता में से पेश आ जाइए लोकतंत्र है और सब लोग को न्याय पाने का पूर्ण अधिकार है जहां तक किसी गलत की बात है तो किसी ने कहीं भी हो सकती है लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं है कि उसके प्राण ले लिया जाए जब देश के अंदर न्यायपालिका है तो फिर किसी अपराध की सजा देने का निर्णय उसका क्या है किसी उम्मीदें भीड़ मार पीट कर मार देना कड़े कानून बांधकर रोना की जरूरत है

©Ek villain # देश की जनता की तालिबानी सोच

#fog
झारखंड के समधी की जिले के देशराज बाजार में जिस प्रकार की आमने बनता दिखाई दे रही है एक तरह से आशिक से और अज्ञानता को दर्शाती है इसको तालिबान सोच से गलत मानसिकता के रूप में देखा जा सकता है इसे देखते हुए बिल्कुल भी नहीं लगता कि देश में विकास का पहिया तेजी से चल रहा है और समाज में सब लोग पढ़े लिखे और समझदार है क्योंकि ऐसी घटनाओं का होना देश की विकसित देखने के लिए जरूरी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर सकता है ऐसे मानवीय अपना घटनाओं देश के सिस्टम के लिए कई बड़ी चुनौती खड़ी कर सकते हैं एक व्यक्ति उसकी पत्नी के सामने मारपीट में और उस को आग के हवाले कर देना इतना बताने के लिए काफी है कि आदि लोगों की सोच किस तरह तालिबान रंग में रंग गई है सूट किस तरह तालिबान रंग में रंग गई है क्योंकि भारतीय सोच ऐसी नहीं होती जिस में इतनी कुर्ता में से पेश आ जाइए लोकतंत्र है और सब लोग को न्याय पाने का पूर्ण अधिकार है जहां तक किसी गलत की बात है तो किसी ने कहीं भी हो सकती है लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं है कि उसके प्राण ले लिया जाए जब देश के अंदर न्यायपालिका है तो फिर किसी अपराध की सजा देने का निर्णय उसका क्या है किसी उम्मीदें भीड़ मार पीट कर मार देना कड़े कानून बांधकर रोना की जरूरत है

©Ek villain # देश की जनता की तालिबानी सोच

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