अगर दो दिलों में पर्दानशीं इश्क़ का जज़्बा होगा। जात-पात,रंग-भेद,धर्म-ज़ुबान, ख़ूबसूरती का सज़दा होगा। दुनिया में फिर से मोहब्बत खिलेगी! और मजनूं को अपनी लैला मिलेगी। प्यार की हसरत से सराबोर फ़िजाएँ! घटाओं से भी चाहत की बरसात होगी। हीर और राँझा मरते दम तक चाहेंगे! शिरन-खुसरू फिर से मिलने आयेंगे। अनदेखी अनजानी आवाज़ सुनकर! आरज़ी नहीं दायमी-कैफ़ियत लायेंगे। 🎀 Challenge-418 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 पिन पोस्ट 📌 पर दिए गए नियमों एवं निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए। 🎀 कोरा काग़ज़ समूह की पोस्ट नोटिफ़िकेशन्स ज़रूर 🔔 ON रखिए। जिससे आपको कोरा काग़ज़ पर होने वाली प्रतियोगिताओं की जानकारी मिलती रहे। 🎀 कोरा काग़ज़ पर प्रतिदिन दोपहर 3 बजे "मस्ती की पाठशाला" होती है और शाम 5 बजे "उर्दू की पाठशाला" होती है। आना न भूलना। #आरज़ी - अस्थाई