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।।मेरी ज़िंदगी।। पानी की मछली बन कर रह गए हैं, पान

।।मेरी ज़िंदगी।।

पानी की मछली बन कर
रह गए हैं,
पानी सूख जाएगा
तो मर जाएंगे,
पानी से बाहर निकल गए,
तो भी मर जाएंगे । 
न जाने कितने लोग
कटिए में आटा फसाए
खड़े हैं।
बहकावे में आ गए, 
तो भी मर जाएंगे।
चारों तरफ जाल बिछाया गया है,
जरा सी चूक होगी,
फस कर मर जाएंगे 
इतना आसान नहीं होता,
अच्छा बन कर जीना।
 डर लगता है,
पानी में कहीं
जहर ना घुल जाए।।

©Jayshree Rai
  #जयश्री_राय_की_कविता 
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