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कब न जाने खिलेंगी ये कलिया यहाँ शूल कब तक मिलेगे ह

कब न जाने खिलेंगी ये कलिया यहाँ
शूल कब तक मिलेगे हमें राह में

भाग्य ही हमसे हरदम क्यों रूठा रहा
कर्म का कोई भी फल न हमको मिला
हमने ही थे जलाये प्रणय की दिये
फिर उसी का उजाला न हमको मिला

हमने पलके बिछाई तुम्हारे लिए
जाने कब तुम मिलोगे हमें राह में..

भीड़ में भी रहा तो मैं तन्हा रहा
साथ पीड़ा का हरदम क्यूँ अपना रहा
प्रिय हमको था मिलना इसी जन्म पर
साथ होना हमारा तो सपना रहा

हम करेंगे प्रतीक्षा तुम्हारी सदा
तुम मिलोगे कभी तो हमें राह में गीत - कब न जाने खिलेगी ये कलियाँ यहाँ

#whenIpendown
कब न जाने खिलेंगी ये कलिया यहाँ
शूल कब तक मिलेगे हमें राह में

भाग्य ही हमसे हरदम क्यों रूठा रहा
कर्म का कोई भी फल न हमको मिला
हमने ही थे जलाये प्रणय की दिये
फिर उसी का उजाला न हमको मिला

हमने पलके बिछाई तुम्हारे लिए
जाने कब तुम मिलोगे हमें राह में..

भीड़ में भी रहा तो मैं तन्हा रहा
साथ पीड़ा का हरदम क्यूँ अपना रहा
प्रिय हमको था मिलना इसी जन्म पर
साथ होना हमारा तो सपना रहा

हम करेंगे प्रतीक्षा तुम्हारी सदा
तुम मिलोगे कभी तो हमें राह में गीत - कब न जाने खिलेगी ये कलियाँ यहाँ

#whenIpendown