२६/०४/२३ विषय #जासूस दुश्मनों से देश को रखता महफूज़ मैं हाँ भारत माँ का पुजारी एक पूत मैं कैसे बताऊँ अपने परिवार को हूँ एक जासूस मैं, हूँ एक जासूस मैं दुश्मनों के देश में, भेष बदल कर रहते हैं षड्यंत्रों की हम पल पल खबर रखते हैं दुश्मनों की चाल को करता अवरुद्ध मैं हूँ एक जासूस मैं, हूँ एक जासूस मैं जब कभी पकड़ ले, दुश्मन हमें कभी मौत के घाट उतार देती है वो तभी देश भी पहचानने से, मोड़ लेता मुख है हूँ एक जासूस मैं, हूँ एक जासूस मैं लावारिस घोषित हो जाती लाश है मुखाग्नि देने को, कोई होता नहीं पास है कैसे प्रकट करूँ, अपना असीम दुख मै हूँ एक जासूस मैं, हूँ एक जासूस मैं स्वरचित विशाल कुमार जायसवाल दिल्ली ©V J