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थोड़ी देर बाद आओ न, की ज़ख्म मेरा अब भी हरा-हरा है।

थोड़ी देर बाद आओ न, की ज़ख्म मेरा अब भी हरा-हरा है।
कतरा-कतरा ही सही, ज़ख्मो से तुमने ही तो सजाया है। अभी-अभी तो थोड़ा-थोड़ा सम्भला हूँ,
कई बार गिर-गिर कर सम्भला हूँ,
मोहब्ब्त में अभी-अभी हारा हूँ, 
हाँ... गिर कर अभी-अभी सम्भला हूँ।
थोड़ी देर बाद आओ न, की ज़ख्म मेरा अब भी हरा-हरा है।
कतरा-कतरा ही सही, ज़ख्मो से तुमने ही तो सजाया है। अभी-अभी तो थोड़ा-थोड़ा सम्भला हूँ,
कई बार गिर-गिर कर सम्भला हूँ,
मोहब्ब्त में अभी-अभी हारा हूँ, 
हाँ... गिर कर अभी-अभी सम्भला हूँ।
ankeshkumar5010

ANKESH KUMAR

New Creator