थोड़ी देर बाद आओ न, की ज़ख्म मेरा अब भी हरा-हरा है। कतरा-कतरा ही सही, ज़ख्मो से तुमने ही तो सजाया है। अभी-अभी तो थोड़ा-थोड़ा सम्भला हूँ, कई बार गिर-गिर कर सम्भला हूँ, मोहब्ब्त में अभी-अभी हारा हूँ, हाँ... गिर कर अभी-अभी सम्भला हूँ।