दुनिया भी तेरी है,रास्ता भी तेरा है मैं रातों का मुसाफ़िर हूं,तू मंज़िलों का सवेरा है जाना है किधर मुझे,ये भी तुम बता दो मैं बहती हुई नदी हूं,तू सागर कोई गहरा है पत्तों को छूकर बूंदें,मिट्टी में मिल गई हैं गुज़र गया है कोई लम्हा,बस बातें रह गई हैं तक़दीर ने दिया था,तक़दीर ने लिया है चंद लकीरों का खेल है सब,नहीं किसी से कोई गिला है हिचकियां भी आ रही हैं,पानी भी पिया है उतरता नहीं है जो ज़हन से,किसका वो चेहरा है कितना और परखोगे,क्या इतना ही काफी नहीं है दुनिया भर की बंदिशें हैं,और इश्क ये बहरा है.... Abhishek Trehan #तेरीमेरीराहें #दुनिया #जिंदगी #yqdidi #hindipoetry #hindishayari #mythoughts #kavita