मेरी मानों तो लोगों से कहना ही छोड़ दो बात मतलब की न हो तो सुनना ही छोड़ दो लोगों की फितरत है तुम्हारी खुशियां न देख पाना तुम भी ठान लो लोगों की फितरत में मुस्कुराना लोगों का काम है तुम्हारा बनता काम बिगाड़ना तुम भी सोच लो अपने बिगड़ते काम को बनाना कर जाओ जब इतना तो एक बार सोचना तुम कौन हैं ये लोग और कहाँ है इनका ठिकाना ढूंढ लाओ जब इन लोगों को तो एक बार बताना मैं भी तो उतारुं इन्हें अपने मन में गाऊं इनका ही तराना बन जाऊं मैं भी लोगों की तरह करूँ उनके जैसा काम आऊं तब मैं भी लोगों में लोग भी आने लगे मुझमे दूर नहीं वे लोग जिनका होता है हमारे जीवन में टोकना फुरसत मिले तो खड़े होना आईने के सामने और पूंछना जब बात होती है दूसरों की तो क्या लोगों में मैं नहीं आता दुनिया से बेशक कुछ भी कहो पर खुद से सच न छुपाना #लोग#हिंदीpoem#hindinojoto#gudiagupta