अश्कों को आरजू-ए-रिहाई है, रोइये! आंखों की अब इसी में भलाई है, रोइये! तस्लीम कर लिया है जो ख़ुद को चराग़-ए-हक, दुनिया क़दम क़दम पे सबाई है, रोइए! खुश है तो फिर मुसाफिरे दुनिया नही है आप, इस दश्त में बस आबला-पाई है, रोइये! हम है असीर-ए-जब्त इजाजत नही हमें, रो पा रहे है आप, बधाई है, रोइये! -अब्बास कमर . ©Ritesh Shrivastava Hope you like it If Yes, then Like, Comment & Share Follow for more post #हिंदी #रेख्ता #Abbasqamar #poems #poets #rekhta #shayari #shayarilove #urdupoems #sadpoems