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जब भी मिलती थी मुझसे... मेरी साँसों से यूँ खेलती थ

जब भी मिलती थी मुझसे...
मेरी साँसों से यूँ खेलती थी..
गोया..किसी बच्चे को..
कोई गेंद मिल गयी हो...

किसी गेंद की माफिक..
उछालती..घुमाती..
कभी यूँही गोद में रख..
सहलाती रहती...
जैसे कोई छोटी क्रिकेट की गेंद पे..
अपनी उँगलियाँ घुमाता है..
और कभी तो चिकनाहट बरकार रखने को..
अपनी उँगलियों को गीला कर...
छू लिया करती थी..
मेरी साँसे..

कभी किसी बास्केट बॉल सी..
दोनों हाथो से उठा..
उछाल देती थी..
दिवार पे कोई बास्केट तो थी नहीं..
सो लौट आती थी..
साँसे मेरी..बैरंग..
और वो खिलखिलाती हुई..
पकड़ लेती थी वापस..

कभी तो छोटी सी..
हॉकी की गेंद की माफिक..
अपनी जुल्फों को हॉकी स्टिक बना..
पूरे बिस्तर पे..
दौड़ाती फिरती थी...
मेरी साँसों को..
जो गोल करने को ..
कोई जगह नहीं मिलती तो..
थक हार कर..
अपनी गोद में ही..
समा लेती थी..सारी की सारी साँसे....


मैं तब भी हैरान होता था...
आज भी आवाक हूँ..
यूँ कोई कैसे...
भला साँसों को...
गेंद बना सकता है...!! #yqdidi #yqbaba #saans #गेंद #जुल्फें #love
जब भी मिलती थी मुझसे...
मेरी साँसों से यूँ खेलती थी..
गोया..किसी बच्चे को..
कोई गेंद मिल गयी हो...

किसी गेंद की माफिक..
उछालती..घुमाती..
कभी यूँही गोद में रख..
सहलाती रहती...
जैसे कोई छोटी क्रिकेट की गेंद पे..
अपनी उँगलियाँ घुमाता है..
और कभी तो चिकनाहट बरकार रखने को..
अपनी उँगलियों को गीला कर...
छू लिया करती थी..
मेरी साँसे..

कभी किसी बास्केट बॉल सी..
दोनों हाथो से उठा..
उछाल देती थी..
दिवार पे कोई बास्केट तो थी नहीं..
सो लौट आती थी..
साँसे मेरी..बैरंग..
और वो खिलखिलाती हुई..
पकड़ लेती थी वापस..

कभी तो छोटी सी..
हॉकी की गेंद की माफिक..
अपनी जुल्फों को हॉकी स्टिक बना..
पूरे बिस्तर पे..
दौड़ाती फिरती थी...
मेरी साँसों को..
जो गोल करने को ..
कोई जगह नहीं मिलती तो..
थक हार कर..
अपनी गोद में ही..
समा लेती थी..सारी की सारी साँसे....


मैं तब भी हैरान होता था...
आज भी आवाक हूँ..
यूँ कोई कैसे...
भला साँसों को...
गेंद बना सकता है...!! #yqdidi #yqbaba #saans #गेंद #जुल्फें #love
amritraj2837

Amrit Raj

New Creator