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मैंने ताज़ को शबनम की बूंदों में नहाते देखा है चां

मैंने ताज़ को शबनम की बूंदों में नहाते देखा है
चांद को धीरे धीरे उसी पानी में उतरते देखा है
नैनां थे बंद अप्सरा के अधरों पर भीगे हुए गीत
मदहोशी का आलम ऐसा पहले कहां देखा है
दो चांद एक साथ पानी में अठखेलियाँ खेल था 
मेरे जिस्म के बस में नहीं रूह को फिसलते देखा है

#drlalthadani / 8005529714
#LiveAndLoveLifeByLal 
#अल्फ़ाज़_दिलसे Bonjour Stitchers 🙋🏻

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मैंने ताज़ को शबनम की बूंदों में नहाते देखा है
मैंने ताज़ को शबनम की बूंदों में नहाते देखा है
चांद को धीरे धीरे उसी पानी में उतरते देखा है
नैनां थे बंद अप्सरा के अधरों पर भीगे हुए गीत
मदहोशी का आलम ऐसा पहले कहां देखा है
दो चांद एक साथ पानी में अठखेलियाँ खेल था 
मेरे जिस्म के बस में नहीं रूह को फिसलते देखा है

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मैंने ताज़ को शबनम की बूंदों में नहाते देखा है