किस मोड़ पे ले आई है जिंदगी हमे की मंजिल को ढूंढते ढूंढते रास्तों से दोस्ती हो चली है जब भी लगता है कि यह ही मेरी मंजिल है तभी रास्ते आ कर अपना वजूद बता चले जाते है ना जाने कैसे लिखी है उस खुदा ने किस्मत हमारी की हर पल सफर में रहने का ज़िंदगी ने रूप इख्तेयार कर लिया है यूं तो अक्सर मंजिलों को मनाने की मुश्कत की है मगर फिर भी मंजिल है कि मानने का नाम ही नहीं ले रहीं है मकसद-ऐ ज़िंदगी मंजिल हो तो (Sehdev) अक्सर रास्तों से दोस्ती करनी ही पड़ती है यूं रास्तों को अनदेखा कर के सफर नहीं गुजरा करते!! (पागल) ©Pagal Shayar #SAD #safar #Zindagi #Quotes #ehsaas #Safar_zindagi_ka swetu