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Alone रह रहकर उठ रहे है, धुआं बिन अंगारे, निकले

Alone  रह रहकर उठ रहे है, 
धुआं बिन अंगारे, 
निकले है जलाकर घर तेरे ,
अब  देखना है कहा रहोगे तुम, 
काफी सस्ती जमीन थी ,शायद बंजर भी।
आग की लपटे असमान छू रही ,
देखो जरा तुम भी काले हो गए, 
राख है हल्के होकर नीचे गिर गए ,
धरा को तुम नही मै पसंद हू,
मौसम संग तुम चले गए  मै नही  ! #धुआं बिन अंगारे !
Alone  रह रहकर उठ रहे है, 
धुआं बिन अंगारे, 
निकले है जलाकर घर तेरे ,
अब  देखना है कहा रहोगे तुम, 
काफी सस्ती जमीन थी ,शायद बंजर भी।
आग की लपटे असमान छू रही ,
देखो जरा तुम भी काले हो गए, 
राख है हल्के होकर नीचे गिर गए ,
धरा को तुम नही मै पसंद हू,
मौसम संग तुम चले गए  मै नही  ! #धुआं बिन अंगारे !
princekumar6054

Prince Kumar

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