Alone रह रहकर उठ रहे है, धुआं बिन अंगारे, निकले है जलाकर घर तेरे , अब देखना है कहा रहोगे तुम, काफी सस्ती जमीन थी ,शायद बंजर भी। आग की लपटे असमान छू रही , देखो जरा तुम भी काले हो गए, राख है हल्के होकर नीचे गिर गए , धरा को तुम नही मै पसंद हू, मौसम संग तुम चले गए मै नही ! #धुआं बिन अंगारे !