आये हैं कुछ लोग दिलासों के नाम पर कफ़न बांटने लगे, वो लोग कुछ ही हैं जो मज़हबों के नाम पर देश बांटने लगे। देखो के अब ये नज़ारा कैसा है, हर तरफ़ बिखरीं चिंगारी और वो सुलगता चिराग़ कैसा है।