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पढा़ होता कभी खुद को देखो तुम्हें क्या -क्या लिखा

पढा़ होता कभी खुद को 
देखो तुम्हें क्या -क्या लिखा है

अपनी जान,अपना प्यार 
अपना संसार तक लिखा है तुम्हें

कही पूनम के चांद सा लिखा
कही पुष्प कमल,गुलाब सा लिखा है तुम्हें

सावन की मधुर रिमझिम फुहार
भादवा में कवि के दिल की
 मस्त बरसात लिखा है तुम्हें

पत़झड़ की विरानी पन तो
कुछ देर बाद सारे जीवन में बहार लिखा है

पढा़ होता कभी खुद को
मेरे लिखे अल्फा़जों में

कवि ने तुम्हें अपनी मोहब्बत
और दामन को तेरे अपना
 तीर्थस्थान लिखा है..!!


#हय यह इश्क़ भी क्या कमाल की चीज है
मोहब्बत को खुदा और उसके हर एहसास को इबादत
हर पसंद को तीर्थ सा पावन बना देती है..!!

-💞कवि-एक काव्यप्रेमी💞✍️


 पढा़ होता कभी खुद को 
देखो तुम्हें क्या -क्या लिखा है

अपनी जान,अपना प्यार 
अपना संसार तक लिखा है तुम्हें

कही पूनम के चांद सा लिखा
कही पुष्प कमल,गुलाब सा लिखा है तुम्हें
पढा़ होता कभी खुद को 
देखो तुम्हें क्या -क्या लिखा है

अपनी जान,अपना प्यार 
अपना संसार तक लिखा है तुम्हें

कही पूनम के चांद सा लिखा
कही पुष्प कमल,गुलाब सा लिखा है तुम्हें

सावन की मधुर रिमझिम फुहार
भादवा में कवि के दिल की
 मस्त बरसात लिखा है तुम्हें

पत़झड़ की विरानी पन तो
कुछ देर बाद सारे जीवन में बहार लिखा है

पढा़ होता कभी खुद को
मेरे लिखे अल्फा़जों में

कवि ने तुम्हें अपनी मोहब्बत
और दामन को तेरे अपना
 तीर्थस्थान लिखा है..!!


#हय यह इश्क़ भी क्या कमाल की चीज है
मोहब्बत को खुदा और उसके हर एहसास को इबादत
हर पसंद को तीर्थ सा पावन बना देती है..!!

-💞कवि-एक काव्यप्रेमी💞✍️


 पढा़ होता कभी खुद को 
देखो तुम्हें क्या -क्या लिखा है

अपनी जान,अपना प्यार 
अपना संसार तक लिखा है तुम्हें

कही पूनम के चांद सा लिखा
कही पुष्प कमल,गुलाब सा लिखा है तुम्हें