माँ हिंदी नीर बहाए मूक क्यों तुम बने यहां? करते न क्यों तुम न्याय? बीच सभा में पूछ रही माँ हिंदी नीर बहाए क्यों पीड़ा न समझे पीढ़ी, क्यों करें मुझे असहाय? बधिर सभा से पूछ रही, माँ हिंदी नीर बहाए मेरे ही अंश सब तुम, मैं ही यशोदा - देवकी यदि त्याग मेरा शून्य है, परिभाषा क्या स्नेह की? लज्जा कैसे मेरे स्वर से? मैं ही प्रथम अध्याय आज मांग रही है उत्तर, माँ हिंदी नीर बहाए तीव्र समय की धार में, स्वीकारा सब परिवर्तन स्वीकारा स्वयं का खण्डन, सब कुछ किया है अर्पण क्या सम्मान नहीं इस माँ का? क्यों अपमान मेरा किया जाय? रूदित स्वर में पूछ रही, माँ हिंदी नीर बहाए क्यों मूकबधिर है सभा, क्यों खड़े सब सिर झुकाए? प्रश्न सभी से पूछ रही, माँ हिंदी नीर बहाए क्यों आघात मेरे अस्तित्व पर, कौन वास्तिवकता मेरी बचाए? निराधारों से आधार मांग रही, माँ हिंदी नीर बहाए (गीतिका चलाल) @geetikachalal04 ©Geetika Chalal आप सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।🙏😇 माँ हिंदी नीर बहाए By- गीतिका चलाल Geetika Chalal माँ हिंदी नीर बहाए