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तब सुनसान रास्तों मै बस यूंही निकल पड़े थे, क्या ह

तब सुनसान रास्तों मै बस यूंही निकल पड़े थे,
क्या होगा कभी सोचा नहीं,सब ज़िन्दगी के हाल पर छोड़ दिया,
फिर एक रोज ज़िन्दगी ने पूछ लिया,
अकेले रास्ते डराते नहीं तुम्हे?
मैने भी हस कर कहा,
परछाई को दोस्त बना लिया है मैंने,
थोड़ा वक्त गुजरा और रास्ता ख़तम हुआ,
फिर शहर की चकाचौंध ने मुझे पकड़ लिया,
फिर उसने पूछा दुनिया की भीड़ में भी 
खुद को अकेला पा कर डर नहीं लगता?
मुस्कुरा कर कह दिया उससे भी,
तनहाई से दोस्ती हो गई है आजकल!,
थोड़ा वक्त गुज़रा नौकरी की राह पर आगे बढ़े,
जिम्मेदारियों ने पूछा ,मुझसे सब डरते है,
तुम्हे डर नहीं लगता..?,
नहीं.... तुम्हे आदत बना लिया है!...मैने कहा!
सबको जवाब देते देते थक के एक रोज ,
बगीचे में बैठी और देखती रही बस चांद पूरी रात,
पढ़ाई , नौकरी,जिम्मेदारियां सब ख़तम..
अब ज़िन्दगी जीते है .... ह्म्म....
मुस्कुराई उस रोज उठ खड़ी हुई तो,
पैरों ने लडखडा के वहीं गिरा दिया,
तब ज़िन्दगी ने मुस्कुरा कर बोला ,
ज़िन्दगी भर तुम मुझे टालते रहे
अब मेरा वक़्त जाने का हो चला है ....

©तुषारिका शुक्ला #गूगल #nojotohindi
तब सुनसान रास्तों मै बस यूंही निकल पड़े थे,
क्या होगा कभी सोचा नहीं,सब ज़िन्दगी के हाल पर छोड़ दिया,
फिर एक रोज ज़िन्दगी ने पूछ लिया,
अकेले रास्ते डराते नहीं तुम्हे?
मैने भी हस कर कहा,
परछाई को दोस्त बना लिया है मैंने,
थोड़ा वक्त गुजरा और रास्ता ख़तम हुआ,
फिर शहर की चकाचौंध ने मुझे पकड़ लिया,
फिर उसने पूछा दुनिया की भीड़ में भी 
खुद को अकेला पा कर डर नहीं लगता?
मुस्कुरा कर कह दिया उससे भी,
तनहाई से दोस्ती हो गई है आजकल!,
थोड़ा वक्त गुज़रा नौकरी की राह पर आगे बढ़े,
जिम्मेदारियों ने पूछा ,मुझसे सब डरते है,
तुम्हे डर नहीं लगता..?,
नहीं.... तुम्हे आदत बना लिया है!...मैने कहा!
सबको जवाब देते देते थक के एक रोज ,
बगीचे में बैठी और देखती रही बस चांद पूरी रात,
पढ़ाई , नौकरी,जिम्मेदारियां सब ख़तम..
अब ज़िन्दगी जीते है .... ह्म्म....
मुस्कुराई उस रोज उठ खड़ी हुई तो,
पैरों ने लडखडा के वहीं गिरा दिया,
तब ज़िन्दगी ने मुस्कुरा कर बोला ,
ज़िन्दगी भर तुम मुझे टालते रहे
अब मेरा वक़्त जाने का हो चला है ....

©तुषारिका शुक्ला #गूगल #nojotohindi
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