*बचपन* *|| जूझ रहा हूं||* मैं जूझ रहा हूं सभी को पूछ रहा हूं। -मैं बचपन से दूर क्यों हो रहा हूं थोड़ा मजबूर हो रहा हूं। - क्या कसूर है मेरा, जो इतना वजन मैं, अपने कंधों पे धो रहा हूं, -सबसे पूछ रहा हूं क्या मैं बचपन के करीब हो रहा हूं, -बचपन की महफिल से भी दूर हो गया हूं क्या मेरा बचपन भी मजबूरियों ने छीन लिया है। मेरा बचपन भी पूछ रहा , है जूझ रहा है...। writer Mohit Bhatara #antichildlabourday #जूझ रहा बचपन#कविता#अनुभव#बात#vichar#writer Mohit Bhatara ✍️✍️