बहर/वज़्न - २२१२-२२१२-२२१२-२२/११२ कुछ इस तरह से दिल की ये तस्कीन हम ने की अच्छे सभी कामों की जब तमकीन हम ने की।।१ मौका मिला करता था जब भी सीखने के लिए तल्लीन होकर मन से फिर तल्क़ीन हम ने की।।२ जब भी कभी अल्लाह के दर पे है आते वो उनकी दुआ में हर दफ़ा आमीन हम ने की।।३ सब कुछ लुटाया फिर भी चाहत रखना ना छोड़ी ऐसे भले इंसान की तौहीन हम ने की।।४ तुम भी नशे में चूर हो सकते थे #जय लेकिन वो रात तेरे ख़्वावों से रंगीन हम ने की।।५ ग़ज़ल तस्कीन - सन्तोष,सन्तुष्टि तमकीन - प्रशंसा तलक़ीन - शिक्षा आमीन - ईश्वर से की गई प्रार्थना कि ऐसा ही हो #ग़ज़ल