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छोड़ दीं , अपनी कुछ हसरतें ! छोड़ दीं  ,अपनी

छोड़ दीं , अपनी कुछ हसरतें !

छोड़ दीं  ,अपनी कुछ चाहतें !

छोड़ दिए ,कुछ स्वप्न अपने ,

गैरों से उम्मीदें, लगानी छोड़ दीं। 


अपनों ने ही नहीं, समझा कभी... 

तौलते, हर रिश्ते को,अर्थ के तराजू में...

धोखा खा , गैरों से निष्ठा, छोड़ दी। 

अरमानों की, सुलगती चिलमन में ,

आस की ,कतरनें लगानी छोड़ दीं।

इंसानियत ,मानवता ही नहीं रही ,

वो......नफ़रत के क़ाबिल भी नहीं ,

रहम की उम्मीद लगानी भी छोड़ दी।

©Laxmi Tyagi #happypromiseday 
#छोड़ दीं