कोई स्त्री जितनी उलझी हुई प्रतीत होती है उतनी वास्तव में होती है नहीं, या यूं कहा जाए कि हर स्त्री को समझना बहुत आसान है, स्त्री बहुत सरल है, बस आप 'सरल' बन जाइये स्त्री समझ आ जाएगी। उसमें कोई दिखावा नहीं होता है, कोई आडम्बर नहीं होता है,कोई स्वार्थ नहीं होता है,वो हर तरह से बस वास्तविक होती है, स्वच्छ होती है, सरल होती है। विश्व की हर स्त्री हृदय से एक जैसी ही है फिर वो कितनी भी आधुनिक संस्कृति की ही क्यों न हो। उलझा हुआ तो पुरुष है, वो बहोत हद तक काल्पनिक हो चुका है, अस्थिर मन का गुलाम हो चुका है, यदि पुरुष अपने मन को मात्र सरल बना ले तो सारी बुराइयां ही खत्म हो जाए जो स्त्री को लेकर उसके मन में होती हैं। यदि वो स्वयं 'सरल 'हो जाए तो बहोत आसानी से एक स्त्री के अंतर्मन को समझ सकता है। क्योकि स्त्री को समझने के लिए सरल होना ही आवश्यक है। "वास्तव में स्त्री एक खुली हुई किताब है उसे पढ़ने की बस शर्त ये है कि उसमें लिखी भाषा को पढ़ना जानते हो। एक ऐसी भाषा जिसे सिर्फ वही पढ़ और समझ सकता है जो उसे स्नेह के साथ-साथ सम्मान देना जनता हो।" _paritosh@run स्त्री की सरलता...