चेहरे पर चाहे लाख मुस्कान रख लूं, मगर उदासियों के काले घने बादल आंखों के घेरों में अपनी परछाई बना ही देते हैं। कभी मायुसियों के झुरमुट से निकल आए आंसुओं को आंखों के पोरों पर बंधा बांध रोक लेता है, तो कभी एक कतरा आंसू लुढ़क आता है गालों पर, सुना था समय मरहम बन कर काम करता है, मगर जब समय की कुछ किरचे है चुभने लगे तब मरहम कहां ढूंढा जाए। #मरहम