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तक़दीर से रोज़ की जंग यही है। मेरी होकर भी तू मेरे स

तक़दीर से रोज़ की जंग यही है।
मेरी होकर भी तू मेरे संग नही है।
तेरे बगैर फीका जीवन,,,,
खुशियों के जिसमें रंग नही है।
सांसे बेवज़ह लगती है,,,,
धड़कनों में भी तरंग नही है।
मन से टूटा,,दिल से हारा
ज़िंदा तो हूं,,उमंग नही है।
तक़दीर से रोज़ की जंग यही है।
मेरी होकर भी तू मेरे संग नही है।
             ✍️देववाणी #मनोस्थिति
तक़दीर से रोज़ की जंग यही है।
मेरी होकर भी तू मेरे संग नही है।
तेरे बगैर फीका जीवन,,,,
खुशियों के जिसमें रंग नही है।
सांसे बेवज़ह लगती है,,,,
धड़कनों में भी तरंग नही है।
मन से टूटा,,दिल से हारा
ज़िंदा तो हूं,,उमंग नही है।
तक़दीर से रोज़ की जंग यही है।
मेरी होकर भी तू मेरे संग नही है।
             ✍️देववाणी #मनोस्थिति