वे मुतमुइन है कि पत्थर पिघल नहीं सकता मैं बेकरार हूं आवाज़ में असर के लिए मेरे सीने में ना सही तो तेरे सीने में सही हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए। सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं मेरी कोशिश है कि यह सूरत बदलनी चाहिए। हो गयी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए इस हिमालय से कोई गंगा निकालनी चाहिए। Pragati Independence Day 2020