याद है हमें वो दिन जिस दिन उसने हमारे प्यार का गुलाल इन गालों पर लगाया था एक तरफा इस प्यार को अपनी प्यारी हंसी से सजाया था। खुदा का करम था या हमारा भ्रम था हम तो बताते थे प्यार उसे अपना उस दिन शायद उसने भी प्यार जताया था। सुना है आज वो हमारी गली से मुँह मोड़ गयी है गयी वो अब नहीं आएगी बस वो लम्हा यादों में छोड़ गयी है,वो रूबरू फिर से नहीं आ पायेगी मगर कह दो उसे हमने जिना सीख लिया है उन यादों के साथ,हम तो जी लेंगे मगर वो कैसे जी पायेगी। पहली मुलाकात की याद