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ओ मोहिनी... तू ही जीवन धन, तू ही मनभावन, तू ही सुह

ओ मोहिनी...
तू ही जीवन धन,
तू ही मनभावन,
तू ही सुहावन,
तू ही प्रेमपावन..! 
ओ मोहिनी.. 
अपने में.. 
कैसी ये अनबन,
कैसी ये उलझन..?

ओ मोहिनी.. 
उलझा ना उलझन,
तोड़ ना ये बंधन,
करता हूँ  वंदन, 
करते है सुलझन..!
ये बावला मन,
रहेगा कैसे.. तुम बिन, 
ये रोयेगा मन,
ये रोयेगा मन !

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich #रोयेगा_मन #kaviananddadhich #poetananddadhich #Hindi #poetsofindia #kavita 

#girl
ओ मोहिनी...
तू ही जीवन धन,
तू ही मनभावन,
तू ही सुहावन,
तू ही प्रेमपावन..! 
ओ मोहिनी.. 
अपने में.. 
कैसी ये अनबन,
कैसी ये उलझन..?

ओ मोहिनी.. 
उलझा ना उलझन,
तोड़ ना ये बंधन,
करता हूँ  वंदन, 
करते है सुलझन..!
ये बावला मन,
रहेगा कैसे.. तुम बिन, 
ये रोयेगा मन,
ये रोयेगा मन !

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich #रोयेगा_मन #kaviananddadhich #poetananddadhich #Hindi #poetsofindia #kavita 

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