टूट कर डाली से अब तो हर गुलाब अलग होने लगा है, हर दरख़्त अब तो ए खुदा अपनी शाख खोने लगा है, माटी का पुतला बनाया है तुझे ए इंसान उस खुदा ने, तू तो देख अब अपनो की ही खुशी खुद राख होने लगा है, खुबसूरत लगता था हर लम्हा कभी रहकर संग तेरे ए सनम, अब तो बीता हुआ हर मंजर सामने मेरे ख़ाक होने लगा है, मुस्कुराता है जो हर चहेरा बहुत अब इस दुनिया के सामने, पा कर खुद को तन्हा ए खुदा अब वो अंधेरों में रोने लगा है, लिख कर कह देता है जितेंद्र हर गहरी बात जो दुनिया से ए गालिब, अब हर उस गहरी बात का असर हर धड़कते दिल पे होने लगा है।। ©Alfaaz Dil se #WallTexture Sudha Tripathi