गुस्ताखियाँ हो गयी इस्क के मौसमे बहार में हम गिरफ्तार हो गए कुछ इस कदर तेरे प्यार में नजरबन्द हो गए जस्ने महफिल के बाजार में रिहा भी न हो सके तेरी यादों के केद खाने से और अश्क आखों से बह गए जुर्माने मे गिरफ्तार