जो घर नहीं लौट सका वही दर बदर हो गया! लग रहा है तेरी दुआओं का असर हो गया!! नफरत भरी निगाहों से देखते हैं लोग सच बोलना भी अब जैसे जहर हो गया!! मतलबी लोग भी खबरदार बने फिरते हैं न समझो अनुज यूं ही "बेखबर" हो गया!! मेरी सलामती की दुआओं में वक्त न जाया करो... मर जाऊं तो समझ लेना मैं अमर हो गया!! ©Anuj thakur "बेख़बर" अमर