https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2106625936256175&id=1939122109673226 मत पूंछों कि क्या खूब लगती हो, चंचल सी,सरबती आखों वाली गिलहरी सी दिखती हो, मचलती, उड़ती लटें तुम्हारी चेहरे पे जैसे तम्बू पे रस्सी क्या खूब लटकती हो मत पूंछों कि क्या खूब लगती हो, देख आइना भी शरमाया कुछ-कुछ थी तो टुनटुन, अब कैसे रेखा सी दिखती हो,