धुएं में धुआं उडा रहा हु। ये नशा नहीं है, मैं तो इश्क उड़ा रहा हु। ये भी तो बुझ जाती हैं, और अब समझ नही आ रहा की मै तुम्हे कैसे भुला रहा हु।। ©Hrituj Agrahari #hritujagrahari