बनी हूँ मैं मुसाफ़िर अब नहीं मेरा ठिकाना है। हुई मैं ख़ुद दीवानी हूँ मेरा दिल भी दीवाना है। भटकती हूँ मैं सदियों से अँधेरों की ही गलियों में, मैं जुगनू हूँ , अँधेरों में मुझे जीवन बिताना है। ©आयुषी गुप्ता ©ayushigupta #Raat