आज तक मैंने.... चांद को अपने आंगन बुलाया नहीं. क्योंकि दूर खड़ा काला बदरी मुस्कुराता रहा. दोस्तों दुआ कीजियो... मेरे आंसूवों का दरिया थम जाए. जाए मेरा दर्द "इब्राहिमी" मुस्कुराऊं मैं, अब मेरा ग़म जाए. ©AL ibrahimi poetry sad...aajtak #MoonHiding