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सुनो ! मंज़िल तक पहुंचने वाली हूं तुम मोह के पत्ते

सुनो !
मंज़िल तक पहुंचने वाली हूं
तुम
मोह के पत्ते न फेंको
जंग हैं जंग को कायम रहने दो
मोह के पत्ते खेलेंगे
जरा!
मूझें भी तो मंजिल तक पहुंचने दो
जंग हैं जंग को कायम रहने दो।

©P Singh
  मोह के पत्ते
psingh2483206899082

P Singh

New Creator

मोह के पत्ते #Poetry

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