तुमने सब अहसासों को, सँभाल कर रखने को कहा था, लेकिन कब तक ? नहीं बताया तुमने । फिर भी मैंने सँभाले रखा है उन्हें अब तक, लेकिन जाते समय तुम भूल गए शायद, मेरी उम्र की भी इक सीमा है । एक बार लौटना होगा तुम्हें, सौंपनी है तुम्हें तुम्हारी अमानत, मुझे हक है उस पार आज़ाद होकर जाने का । #wingsofpoetry #खत #आखिरी_अल्फाज़