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तुमने सब अहसासों को, सँभाल कर रखने को कहा था, लेक

तुमने सब अहसासों को,
सँभाल कर रखने को कहा था, 
लेकिन कब तक ? नहीं बताया तुमने ।
फिर भी मैंने सँभाले रखा है उन्हें अब तक,
लेकिन जाते समय तुम भूल गए शायद,
मेरी उम्र की भी इक सीमा है ।
एक बार लौटना होगा तुम्हें, 
सौंपनी है तुम्हें तुम्हारी अमानत, 
मुझे हक है उस पार आज़ाद होकर जाने का ।

 #wingsofpoetry 
#खत 
#आखिरी_अल्फाज़
तुमने सब अहसासों को,
सँभाल कर रखने को कहा था, 
लेकिन कब तक ? नहीं बताया तुमने ।
फिर भी मैंने सँभाले रखा है उन्हें अब तक,
लेकिन जाते समय तुम भूल गए शायद,
मेरी उम्र की भी इक सीमा है ।
एक बार लौटना होगा तुम्हें, 
सौंपनी है तुम्हें तुम्हारी अमानत, 
मुझे हक है उस पार आज़ाद होकर जाने का ।

 #wingsofpoetry 
#खत 
#आखिरी_अल्फाज़