बेवक्त बेवज़ह यूंही मुस्कुरा दो ज़हन में थम जाए वो अंदाज़ फ़िर दिखा दो तवज्जोह है तबस्सुम हर शागिर्द को तुम्हारे ज़रा इस अजनबी का भी दिन बना दो बेवक्त बेवज़ह यूंही मुस्कुरा दो मुस्कुराहट