आने दो नाम हमारा दास्ताँ में तुम्हारी.. थोड़ा बदनाम हमें भी होना है, ज़माने की छोड़ो ज़माने का क्या है.. इस ज़माने का तो कई ज़माने से रोना है, Lafz-e-faridi