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दूर दूर तक देखा कहीं भगवान नजर नहीं आया। आदमी के ब

दूर दूर तक देखा
कहीं भगवान नजर नहीं आया।
आदमी के बनाए नियमों से
वंचित हो गई क्या माया,
कोई दर्द नहीं मिटा कभी बभूती से
आदमी पूजे लगा के आसन 
कोई असर न सुधरी काया।
बचपन से पड़ी कथाऐं सूर तुलसी की।
वो कल्पनाओं तक ही है
सच में क्या कभी उभर ना पाया।
समय ही है देवता
धार्मिक आडम्बरों ने क्या हमें धर्मांध बनाया?

©ऋतुराज पपनै is god are not?
दूर दूर तक देखा
कहीं भगवान नजर नहीं आया।
आदमी के बनाए नियमों से
वंचित हो गई क्या माया,
कोई दर्द नहीं मिटा कभी बभूती से
आदमी पूजे लगा के आसन 
कोई असर न सुधरी काया।
बचपन से पड़ी कथाऐं सूर तुलसी की।
वो कल्पनाओं तक ही है
सच में क्या कभी उभर ना पाया।
समय ही है देवता
धार्मिक आडम्बरों ने क्या हमें धर्मांध बनाया?

©ऋतुराज पपनै is god are not?