तुम हो एक बहना सुकून का वो ठिकाना , खुशी हो या गम याद तुम ही आती हो हरदम क्या यकीं करें औरों का एक तुम ही थोड़ी लगती हो नम बात छोटी हो या बड़ी गम भुलाने का दम रखती हो जितनी ही बार छलकती प्याली से इन अधरों को स्पर्श करती हो एक एक पल की गहरी गहरी छाप छोड़ देती हो अब क्या बताएं ; तुमसे दूर नहीं रह पाते हैं हम बस जैसे तैसे मौका लगे , तुमसे मिलने चले आते हैं हम - मेरी चाय ©AvK Avantika to all the chay lovers ☕ good morning 🌞